व्यस्त जीवनशैली और भागदौड़ भरी जिन्दगी में फंसकर हम कई बार छोटी-मोटी समस्याओं को नजअंदाज कर देते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि ये ही समस्याएं आगे जाकर न केवल आपके लिए बड़ी परेशानी बन सकती है बल्कि आपके अंगों को क्षतिग्रस्त कर सकती है अथवा कई बार जानलेवा भी साबित हो सकती है। ऐसी ही एक बीमारी है कार्पल टनल सिंड्रोम।
कार्पल टनल सिंड्रोम (सी टी एस) मध्य तंत्रिका पर पड़ने वाले दबाव के कारण होता है, जो कि भूजाओं की लंबाई से होकर हाथ तक जाती है, जब यह कलाई से गुजरती है तो इसे कार्पल टनल कहते हैं। मध्य तंत्रिका हमारे हाथ की कनिष्ठ उंगली को छोड़कर अन्य सभी उंगलियों की गतिविधियों और संवेदनाओं को नियंत्रित करती है। यदि मध्य तंत्रिका को दबाया जाए तो आपको आपके हाथ और शुरूआत की चार उंगलियों में सुन्नपन, झुन्नझुनी, दर्द या कमजोरी महसूस हो सकती है।
सी टी एस के लक्षण समान्यतौर पर रात से समय दिखने शुरू होते है। क्योंकि हम में से अधिकतर लोगों को कलाई मोड़कर सोने की आदत होती है जिससे मध्य तंत्रिका पर धीरे धीरे दबाव बढ़ता है। जब यह स्थिति बिगड़ जाती है तो यही लक्षण दिन के समय भी महसूस होने लगते हैं। समान्यतः यह कलाई को कुछ समय के लिए ऊपर- नीचे करने की गतिविधियों के साथ जुड़े होते हैं जैसे कि कंप्यूटर पर टाइपिंग करना या फिर कार चलना या अन्य कोई कार्य जिसे बार-बार दोहराना हो।
सीटीएस को सुनिश्चत करने के लिए कराएं ये जांच
ऐसी स्थिति में आप सीटीएस से पीड़ित हैं या नहीं यह स निश्चित करने के लिए डॉक्टर आपकी सबसे पहले शारिरीक जांच कर सकते हैं। इस दौरान वह हाथ की मांसपेशियों की मजबूती और उंगलियों की संवेदनाओं को समझने के लिए आपकी कलाई को झुकाकर, नसों को थपथपाकर या सकमान्यरूप से नसों को दबाकर देखते हैं। दूसरे ऑप्शन में वह एक्सरे करने का सुझाव दे सकते है। तीसरे ऑप्शन में वह आपको तंत्रिका चालन अध्ययन (एनसीएस) और इलेक्ट्रोमायोंग्राम (ईएमजी) कराने के लिए बोल सकते हैं।
एनसीएस में नसों की गति अर्थात तंत्रिका संचालन का आवेग और आपकी मांसपेशियां किस प्रकार संकेतों पर प्रतिक्रिया कर रही हैं,को मापा जाता है। यदि नंस कहीं से बंद, क्षतिग्रस्त या तंग होती है तो यह संकेत कम होंगे और मांसपेशियों की प्रतिक्रिया धीमी होगी।
ईएमजी में एक सूई के माध्यम से मांसपेशियों के स्थिर और संकुचित होने पर आपके मांसपेशियों की विधुतिय गतिविधि को मापा जाता है। इसे सीधे तौर पर आपके मासपेशियों में एक छोटी इलैक्ट्रोड सूई लगाकर रिकोर्ड किया जाता है। यह कभी कभी सीएसटी रोग को सुनिश्चित करने और स्थिति की गंभीरता को जानने के लिए आवश्यक हो जाता है।
जल्द से जल्द कराएं इलाज
सीटीएस की शुरूआत भले ही धीरे धीरे होती है लेकिन यह बहुत ही तेजी से बिगड़ती है। नसों की स्थायी क्षति और तेजी से ठीक होने के लिए जल्द से जल्द उपचार करवाना जरूरी है। यदि आपको यह समस्या 6 महीने से अधिक समय से है और आप सर्जरी करवाने का इंतजार करवा रहे हैं तो कुछ नॉन- सर्जिकल उपचार आपको इस समस्या से राहत दिला सकते हैं।
यदि आपको सीटीएस की समस्या 6 माह से अधिक समय से है या कोई उपचार से आपको कोई लाभ नहीं हो रहा है तो आपके लिए बेहतर है कि आप सर्जरी करवा लें। इसकी सर्जरी दो प्रकार से की जाती है इंडोस्कॉपी और ओपन सर्जरी। दोनों ही स्थति में सर्जन कार्पल टनल के आस पास की स्नायु (लिगामेन्ट) को काट देते हैं ताकि मध्य तंत्रिका पर दबाव को कम किया जा सके।
– प्रियंका मिश्रा
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